मौजूदा वक्त में नही बीते छ वर्ष से इस बात की चर्चा लगातार चल रही है कि राजनेतिक सत्ता आर एस एस के हाथ में है। इस बात की बहस चल रही है आर एस एस कि प्रचारक इस देश के प्रधानमंत्री है। 2014 से ये बात चल रही है। लेकिन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत इस बात का जिक्र कर रहे थे कि आप कम से कम मंदी को मत देखिए वो हो जायेगी ठीक सरकार पे भरोसा रखिए। जब वो इस बात का जिक्र कर रहे थे कि जो लिंचिंग है वो आर एस एस से नही जुड़ी हुई है। और उसको आर एस एस से मत जोड़िए। या फिर सेसी तमाम नितियाँ जो मोजूदा वक्त में प्रधानमंत्री मोदी के जरिये ऐलान की गई और देश में लागू की जा रही है तब उसके समर्थन में खड़े थे तब एक सवाल जहन में ये जरूर आया कि जो आर एस एस अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार मेें उनकी आर्थिक नितियों को लेकर वाजपेयी सरकार को कटघड़े में खड़ा करने से कतराती नही थी। वही आर एस एस अब प्रधानमंत्री मोदी काल में किस तरीके से मोदी के हर निर्णय का प्रचार करने की दिशा में लग जाती हैै। तो क्या हम ये नही कह सकते की मौजूदा वक्त में संघ के प्रचारक के हाथ में सत्ता नही हैं। और जिसके हाथ में सत्ता है आर एस एस उसी के प्रचारक के तौर पर काम कर रही है। ये लकीड़ बड़ी महीन है आइए जरा इस महीन लकीड़ को पकड़ने की कोशिश करे क्यों कि जिस वक्त नागपुर से इस बात की उद्धघोषणा होती है कि इस देश में मंदी नही है सरकार पे भरोसा रखिए। लिंचिग से आर एस एस का कुछ भी लेना देना नही है
तो बहुत से सवाल जहन मे उठते हैं। क्योंकि आर्थिक मंदी किस रूप मे मौजूदा वक्त में है इसके लिए लगता है हम इधर नही देखे। हमलोग सीधे गुजरात माॅडल को ही समझने की कोशिश करते हैं और उस गुजरात माॅडल के जरिये इस देश की तमाम नितियों को समझते हुए इस बात का एहसास जताते हैं कि आर एस एस के सिवाय प्रधानमंत्री मोदी के तारीफ के अलावे कोई कार्य नहीं है। हमने गुजरात का जिक्र इसलिए किया क्योंकि वहाँ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री और शायद सिंगुर से उठकर सानंद में पहुँची नैनो फैक्ट्री भी बड़ी मायने रखती है। सिंगुर एक ऐसी प्रयोगशाला के तौर पर पश्चिम बंगाल में रही जहाँ किसान महत्वपूर्ण है। मजदूर महत्वपूर्ण है और इंडस्ट्री को लगने नहीं देगें इस बात का जिक्र किया गया और सिंगुर से लालगढ़ की स्थित ने ममता बनर्जी के आंदोलन के जरिये ममता बनर्जी को सत्ता में ला दिया। लेकिन चंद मिंटो के अंदर गुजरात में अहमदाबाद जिले के भीतर सानंद के इलाके में जमीन दे दी गई नैनो को। नैनो जो टाटा का पलांट लखटकियाँ गाड़ी बननी थी। लेकिन इस साल नैनों कि एक भी गाड़ी बनकर नही निकली पूरे वर्ष जनवरी से लेकर सिंतम्बर तक सिर्फ एक गाड़ी बिकी । अब निर्णनय लिया गया है कि 20 अपै्रल 2020 तक नैनो पूरी तरह बंद कर दी जायेगी। एक तरफ सिंगुर का माॅडल है जहाँ सुर्पीम कोर्ट निर्णय देता है कि जो जमीं टाटा को दी गई थी वो जमीं किसानो को दी जाए।
किसान उस जगह आनाज उपजाने की स्थिति में नही है । चार फसली आनाज वहाँ पर पैदा होता था । लेकिन वह स्थित अब नही है जहाँ आनाज उगा सके क्योंकि जमीन बँजर है । किसानो को जमीं मिल गयी लेकिन किस काम की। दूसरी तरफ सानंद में नैनो को जमीन मिल गयी लेकिन फैक्ट्री ही ठप पर गयी और बंद करने की स्थित में आ गयी। पहला स्थिति क्या है। सरकार के पास न तो एग्रीकलचर को लेकर न इंडस्ट्री को लेकर कोई पालीसी है दूसरी स्थिती जो आर्थिक तौर पर देश को चलाने की परिस्थितियाँ है उसमें मौजूदा वक्त में स्थित डमाडोल है। ध्यान दे जब नैनों पलांट बंद हुआ था तो किसानों को मुआवजे के तौर पर 1100 मीटर स्कावयर रूपय के तौर मुआवजा दिया गया था वो बाजार रेट से कुछ ज्यादा था। और नैनो से जो पैसा लिया गया थ वो 900 रूपय मीटर स्कावयर के हिसाब लिया गया । किसान प्रभावित हुआ किसान ने आंदोलन छोड़ा हरिपुरा का इलाका चारल का इलाका बोल का इलाका सियावार का इलाका इन गाँव में खूब आंदोलन हुए। मुआवजे के बाद किसानों की स्थित और नाजुक हो गयी । कुछ ने रइसी में गाड़ी खरीद ली लेकिन आज वहाँ का किसान मरने की स्थिती में है आटोमोबाइल इंडस्ट्री इस तरह ठप हो गया है जिससे लाखो लोग बेरोजगार हो गये हैं। क्या इस देश के भीतर ऐसा खाका तैयार हो रहा है जहाँ पर इस देश के भीतर सरकार के लिए प्रचारक के तौर पर काम करना है । हर किसी को फैसले भी देना है । अगर ऐसा हो रहा है तो सरसंघचालक मोहन भागवत ने क्या गलत कहा जब उन्होंने कहा मंदी नही आ रही है । कोई संकट नहीं है। सरकार पे भरोसा कीजिए सब ठीक कर देगी।
तो बहुत से सवाल जहन मे उठते हैं। क्योंकि आर्थिक मंदी किस रूप मे मौजूदा वक्त में है इसके लिए लगता है हम इधर नही देखे। हमलोग सीधे गुजरात माॅडल को ही समझने की कोशिश करते हैं और उस गुजरात माॅडल के जरिये इस देश की तमाम नितियों को समझते हुए इस बात का एहसास जताते हैं कि आर एस एस के सिवाय प्रधानमंत्री मोदी के तारीफ के अलावे कोई कार्य नहीं है। हमने गुजरात का जिक्र इसलिए किया क्योंकि वहाँ की टैक्सटाइल इंडस्ट्री और शायद सिंगुर से उठकर सानंद में पहुँची नैनो फैक्ट्री भी बड़ी मायने रखती है। सिंगुर एक ऐसी प्रयोगशाला के तौर पर पश्चिम बंगाल में रही जहाँ किसान महत्वपूर्ण है। मजदूर महत्वपूर्ण है और इंडस्ट्री को लगने नहीं देगें इस बात का जिक्र किया गया और सिंगुर से लालगढ़ की स्थित ने ममता बनर्जी के आंदोलन के जरिये ममता बनर्जी को सत्ता में ला दिया। लेकिन चंद मिंटो के अंदर गुजरात में अहमदाबाद जिले के भीतर सानंद के इलाके में जमीन दे दी गई नैनो को। नैनो जो टाटा का पलांट लखटकियाँ गाड़ी बननी थी। लेकिन इस साल नैनों कि एक भी गाड़ी बनकर नही निकली पूरे वर्ष जनवरी से लेकर सिंतम्बर तक सिर्फ एक गाड़ी बिकी । अब निर्णनय लिया गया है कि 20 अपै्रल 2020 तक नैनो पूरी तरह बंद कर दी जायेगी। एक तरफ सिंगुर का माॅडल है जहाँ सुर्पीम कोर्ट निर्णय देता है कि जो जमीं टाटा को दी गई थी वो जमीं किसानो को दी जाए।
किसान उस जगह आनाज उपजाने की स्थिति में नही है । चार फसली आनाज वहाँ पर पैदा होता था । लेकिन वह स्थित अब नही है जहाँ आनाज उगा सके क्योंकि जमीन बँजर है । किसानो को जमीं मिल गयी लेकिन किस काम की। दूसरी तरफ सानंद में नैनो को जमीन मिल गयी लेकिन फैक्ट्री ही ठप पर गयी और बंद करने की स्थित में आ गयी। पहला स्थिति क्या है। सरकार के पास न तो एग्रीकलचर को लेकर न इंडस्ट्री को लेकर कोई पालीसी है दूसरी स्थिती जो आर्थिक तौर पर देश को चलाने की परिस्थितियाँ है उसमें मौजूदा वक्त में स्थित डमाडोल है। ध्यान दे जब नैनों पलांट बंद हुआ था तो किसानों को मुआवजे के तौर पर 1100 मीटर स्कावयर रूपय के तौर मुआवजा दिया गया था वो बाजार रेट से कुछ ज्यादा था। और नैनो से जो पैसा लिया गया थ वो 900 रूपय मीटर स्कावयर के हिसाब लिया गया । किसान प्रभावित हुआ किसान ने आंदोलन छोड़ा हरिपुरा का इलाका चारल का इलाका बोल का इलाका सियावार का इलाका इन गाँव में खूब आंदोलन हुए। मुआवजे के बाद किसानों की स्थित और नाजुक हो गयी । कुछ ने रइसी में गाड़ी खरीद ली लेकिन आज वहाँ का किसान मरने की स्थिती में है आटोमोबाइल इंडस्ट्री इस तरह ठप हो गया है जिससे लाखो लोग बेरोजगार हो गये हैं। क्या इस देश के भीतर ऐसा खाका तैयार हो रहा है जहाँ पर इस देश के भीतर सरकार के लिए प्रचारक के तौर पर काम करना है । हर किसी को फैसले भी देना है । अगर ऐसा हो रहा है तो सरसंघचालक मोहन भागवत ने क्या गलत कहा जब उन्होंने कहा मंदी नही आ रही है । कोई संकट नहीं है। सरकार पे भरोसा कीजिए सब ठीक कर देगी।
0 comments:
Post a Comment