वीवीआइपी हेलीकॉप्टर घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से एक और व्यक्ति की गिरफ्तारी यही बताती है कि इस घोटाले की जड़ें कहीं गहरे तक फैली हुई थीं। फिलहाल यह कहना कठिन है कि हेलीकॉप्टर घोटाले की जांच-पड़ताल कब पूरी होगी, लेकिन इसमें दोराय नहीं कि विशिष्ट व्यक्तियों के लिए हेलीकॉप्टर खरीद में घोटाला हुआ था। हैरानी यह है कि राहुल गांधी राफेल सौदे को लेकर तो बहुत कुछ कह रहे हैैं, लेकिन हेलीकॉप्टर घोटाले पर कुछ भी नहीं कहना चाह रहे हैैं। वह बीते सात-आठ माह से राफेल सौदे को तूल देने में लगे हुए हैैं, लेकिन अभी तक यह नहीं स्पष्ट कर सके हैैं कि इन लड़ाकू विमानों की खरीद में किस तरह की गड़बड़ी हुई और कैसे देश का पैसा इधर-उधर हुआ ?
उनके पास ले-देकर यही कहने को है कि मोदी जी ने अनिल अंबानी की जेब में तीस हजार करोड़ रुपये डाल दिए। वह इस आरोप के पक्ष में भी कोई सबूत नहीं दे पा रहे हैैं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि वह राफेल सौदे पर बिना किसी प्रमाण चौकीदार चोर है का नारा इसीलिए जोर-शोर से उछालने में लगे हुए हैैं ताकि देश का ध्यान हेलीकॉप्टर घोटाले समेत उन अन्य अनेक घोटालों की ओर न जाए जो मनमोहन सरकार के समय में हुए थे। अगर इस तरह की नारेबाजी सही है तो फिर हेलीकॉप्टर घोटाले में किसे चोर कहा जाना चाहिए?
मनमोहन सरकार के समय के न जाने कितने घोटाले हैं जिनकी जांच-पड़ताल यह बताती है कि उस दौरान सार्वजनिक कोष के धन को जमकर लूटा गया। कुछ घोटाले तो ऐसे हैैं जिनमें खुद कांग्रेस अध्यक्ष और उनके परिजन जांच के घेरे में हैैं। आखिर यह एक तथ्य है कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को अनुचित तरीके से अपने स्वामित्व वाले ट्रस्ट के हवाले करने के मामले में राहुल गांधी जमानत पर हैैं। इसी तरह प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा जमीनों के संदिग्ध सौदों के कारण प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैैं। कुछ ऐसे ही चक्कर कार्ति चिदंबरम और पी चिदंबरम को काटने पड़ रहे हैैं।
न्याय का तकाजा यह कहता है कि जब तक आरोप साबित न हो जाएं तब तक किसी को दोषी नहीं माना जा सकता, लेकिन न्याय का यह तकाजा तो सब पर लागू होता है। आखिर राफेल सौदे को लेकर राहुल किस आधार पर प्रधानमंत्री को चोर कहने में लगे हुए हैैं? पता नहीं वह इस तरह की राजनीति कब तक करते रहेंगे, लेकिन जांच एजेंसियों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे अपना काम तेजी से करें। सुप्रीम कोर्ट के लिए भी यह आवश्यक है कि जिन मामलों की वह सुनवाई कर रहा है उनमें यह देखे कि उनका निपटारा तय समय में हो। यह ठीक है कि गत दिवस सारधा घोटाले में सीबीआइ की प्रगति रिपोर्ट देखकर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि जो तथ्य उसके सामने रखे गए हैं वे बेहद गंभीर हैं और उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती, लेकिन इस सवाल का जवाब भी सामने आना चाहिए कि इस तरह के घोटालों की जांच कब तक होती रहेगी?
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