नगपुर में जन्में जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े देश के 47 वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर 18 नवम्बर को शपथ लेगेें । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जस्टिस बोबड़े के नाम पर मुहर लगा दी । उनका कार्यकाल 23 अपै्रल 2021 तक होगा।
शरद अरविंद बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को हुआ। वह अब 63 साल के हो चुके हैं। श्री बोबड़े ने अपनी शिक्षा नागपुर विश्व विघालय में ग्रहन की। इस विश्व विघालय का पूरा नाम राष्ट्रसन्त तुकडोजी महराजा नागपुर विश्व विघालय है। इसकी स्थापना 4 अगस्त 1923 को हुई।
जस्टिस बोबड़े 1978 में नागपुर विशव विघालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद बार काउंसिल आॅफ महाराष्ट्र में नामांकन कराया। उन्होनें 21 साल तक बाॅम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच में पै्रक्टिस की और सुप्रीम कोर्ट में भी पेश हुए। उन्हें 1998 में वरिष्ठ वकील के ंरूप में नामित किया गया और बाद में मार्च 2000 में बाॅम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उदोन्नत किया गया था।
जस्टिस बोबड़े ;ैींतंक ।तअपदक ठवइकमद्ध कई महत्वपूर्ण बैंचो में शामिल रहे। जिनमें अयोध्या मामला भी शामील है। इसके अलावा ठब्ब्प् सुधार मामले में भी बैंच की अगुवाई कर रहें है। ध्यान दीजिए साल 2018 में कांग्रेस और जेडीएस के बीच रात भर राजनीति विवाद चला था । इन याचिकाओं पर भी जस्टिस बोबड़े ने सुनवाई की थी । जिसके बाद वहाँ दोबारा सरकार बन गई । जस्टिस बोबड़े निजता के अधिकार के लिए गठित संविधान पीठ में शामील रहे। और वह आधार कार्ड को लेकर भी बेंच में रहें। जिसने कहा था जिन लोगो के आधार कार्ड नही है उन्हें सुविधाओं से वंचित नही किया जा सकता ।
परंपरा के अनुसार वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 18 अक्तूबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर जस्टिस के नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस रंजन गोगोइ ने 3 अक्तूबर 2018 को भारत के 46 वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी। जस्टिस गोगोई के कार्य काल में देश के सबसे संवेदशील मुद्धे अयोध्या विवाद पर फैसला आ सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलो की सुनवाई हुई। जिनमें अयोध्या मामला एनआरसी जम्मू कश्मीर पर याचिकाएँ शामिल हैं।
63 वर्षीय जस्टिस बोबड़े 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगें।
शरद अरविंद बोबड़े का जन्म 24 अप्रैल 1956 को हुआ। वह अब 63 साल के हो चुके हैं। श्री बोबड़े ने अपनी शिक्षा नागपुर विश्व विघालय में ग्रहन की। इस विश्व विघालय का पूरा नाम राष्ट्रसन्त तुकडोजी महराजा नागपुर विश्व विघालय है। इसकी स्थापना 4 अगस्त 1923 को हुई।
जस्टिस बोबड़े 1978 में नागपुर विशव विघालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद बार काउंसिल आॅफ महाराष्ट्र में नामांकन कराया। उन्होनें 21 साल तक बाॅम्बे हाइकोर्ट की नागपुर बेंच में पै्रक्टिस की और सुप्रीम कोर्ट में भी पेश हुए। उन्हें 1998 में वरिष्ठ वकील के ंरूप में नामित किया गया और बाद में मार्च 2000 में बाॅम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उदोन्नत किया गया था।
जस्टिस बोबड़े ;ैींतंक ।तअपदक ठवइकमद्ध कई महत्वपूर्ण बैंचो में शामिल रहे। जिनमें अयोध्या मामला भी शामील है। इसके अलावा ठब्ब्प् सुधार मामले में भी बैंच की अगुवाई कर रहें है। ध्यान दीजिए साल 2018 में कांग्रेस और जेडीएस के बीच रात भर राजनीति विवाद चला था । इन याचिकाओं पर भी जस्टिस बोबड़े ने सुनवाई की थी । जिसके बाद वहाँ दोबारा सरकार बन गई । जस्टिस बोबड़े निजता के अधिकार के लिए गठित संविधान पीठ में शामील रहे। और वह आधार कार्ड को लेकर भी बेंच में रहें। जिसने कहा था जिन लोगो के आधार कार्ड नही है उन्हें सुविधाओं से वंचित नही किया जा सकता ।
परंपरा के अनुसार वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 18 अक्तूबर को राष्ट्रपति को पत्र लिखकर जस्टिस के नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस रंजन गोगोइ ने 3 अक्तूबर 2018 को भारत के 46 वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली थी। जस्टिस गोगोई के कार्य काल में देश के सबसे संवेदशील मुद्धे अयोध्या विवाद पर फैसला आ सकता है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलो की सुनवाई हुई। जिनमें अयोध्या मामला एनआरसी जम्मू कश्मीर पर याचिकाएँ शामिल हैं।
63 वर्षीय जस्टिस बोबड़े 17 महीने के लिए 23 अप्रैल 2021 तक इस पद पर बने रहेंगें।
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